“शायद ही मैंने कभी किसी व्यक्ति को देखा है जिसकी उपस्थिति मात्र मुझे इतना अधिक प्रभावित कर गई।” कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एडवर्ड जी. ब्राउन का यह उद्गार अब्दुल-बहा से मिलने के बाद के थे। “इस व्यक्ति की महानता और शक्ति के सम्बन्ध में किसी को भी शंका नहीं हो सकती जिस किसी ने उन्हें देखा है।”
फिर भी, अब्दुल-बहा का व्यक्तित्व कितना भी चुम्बकीय क्यों न हो, उनकी अन्तर्दृष्टि कितनी भी पैनी क्यों न हो, धार्मिक इतिहास में ऐसे अनमोल चरित्र के प्रति समुचित उद्गार नहीं व्यक्त किये जा सकते। बहाई लेख यह पुष्ट करते हैं कि “अब्दुल-बहा के व्यक्तित्व में मानव-स्वभाव की अद्वितीय विशेषतायें और अलौकिक ज्ञान तथा आदर्श का सम्मिश्रण पूरी तरह से सुसंगत है।”